दैनिक जीवन में लोग जल की उपयोगिता को बहुत साधारण समझ लेते हैं।
पर हम हमेशा यह भूल जाते हैं कि जल में भी याददाश्त होती है।
यही कारण है कि पहले यह हमेशा सुनने को मिलता था कि फलनवा (X person) के यहां जल पीने लायक नहीं है। पर इसका अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं की जल गंदा है, बल्कि वहां का माहौल गंदा है जैसे लड़ाई झगड़ा होना हिंसा होना आदि यह रिसर्च में भी प्रूफ हो चुका है अगर सेम जल को अलग-अलग स्थान पर रख दिया जाए तो उनका आकार माइक्रोस्कोप से देखने पर बिल्कुल अलग-अलग दिखाई देगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि कहां पर शांति है और कहां पर लड़ाई झगड़ा हो रहे हैं उसके अनुसार अपना आकर जल चेंज कर लेता है जैसे जहां पर लड़ाई झगड़ा हो रहे हैं वहां आकर बहुत ही बेकार और डरावना बनेगा और जहां पर शांति है वहां पर आकर बहुत अच्छा और सुंदर बनेगा इसीलिए जो ज्यादा अध्यात्म से जुड़े हुए लोग हैं वह पानी को ऊर्जान्वित करके जल पीते हैं जैसे पूजा पाठ करके अच्छे-अच्छे शब्दों का उच्चारण करके भारत में साउथ इलाके में कुछ जगह ऐसे भी हैं जहां पर जल की पूजा की जाती है जल को एक बर्तन में भरकर उसमें कुमकुम हल्दी चंदन लगाते है और फूल अर्पित करने के बाद ही जल ग्रहण करते हैं जैसा कि हम जानते हैं मानव शरीर में लगभग 70% भाग जल होता है अगर हम जल को सही तरीके से लें तो यह एक अद्भुत तरीके से काम करेगा|
जल जिस तरह के धातु या बर्तन में रखा जाता है वह उसका गुण ले लेता है यहां तक की जल किस तरह आकर के बर्तन पर रखा है इसका भी अलग महत्व है गोल आकार के धातु या बर्तन पर पानी पीना लाभदायक माना जाता है सबसे कम पृष्ठ तनाव गोला (sphere) के आकार में होता है। इसीलिए पहले के लोग लोटे में पानी पीते थे ना की गिलास में जिससे कई तरह के पेट की समस्याओं से भी बचा जा सकता है इसीलिए सभी लोगों को पानी को केवल पानी न मानकर इसे अमृत मान कर पान करें|